*कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है,*
*पर मैं बेईमान नहीं।*
*मैं सबको अपना मानता हूँ,*
*सोचता फायदा या नुकसान नहीं।*
*एक शौक है ख़ामोशी से जीने का,*
*कोई और मुझमें गुमान नहीं।*
*छोड़ दूँ बुरे वक़्त में आपका साथ,*
*वैसा तो मैं इंसान नहीं।*
Shayaris for people in Love...
*कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है,*
*पर मैं बेईमान नहीं।*
*मैं सबको अपना मानता हूँ,*
*सोचता फायदा या नुकसान नहीं।*
*एक शौक है ख़ामोशी से जीने का,*
*कोई और मुझमें गुमान नहीं।*
*छोड़ दूँ बुरे वक़्त में आपका साथ,*
*वैसा तो मैं इंसान नहीं।*